बिहार चुनाव 2025: 19 में 17 बार मुस्लिम उम्मीदवार को मिली जीत, किशनगंज में इस बार क्या होगा?

किशनगंज की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 16,90,948 थी, जिसमें मुस्लिम बहुलता है. यहां मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
किशनगंज में स्थानीय लोगों के साथ मौजूदा विधायक.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • किशनगंज विधानसभा क्षेत्र सीमांचल की राजनीतिक धुरी है और इसका इतिहास नवाब मोहम्मद फकीरुद्दीन से जुड़ा हुआ है.
  • किशनगंज बिहार का एकमात्र जिला है जहां चाय की खेती होती है और यह पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार माना जाता है.
  • 2011 की जनगणना के अनुसार किशनगंज की आबादी लगभग सत्रह लाख है जिसमें मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) की आहट के साथ ही सीमांचल के मुस्लिम बहुल किशनगंज विधानसभा क्षेत्र (Kishanganj Seat) पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण इस सीट पर मुकाबला रोचक होने वाला है. एक ओर जहां कांग्रेस अपनी पारंपरिक पकड़ को बरकरार रखने की इस सीट पर कोशिश करेगी, वहीं BJP इस बार पूरी ताकत से यहां जीत की तलाश में है. वहीं AIMIM भी एक बार फिर मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने के प्रयास में जुटी है.

सीमांचल की राजनीतिक धुरी है किशनगंज

किशनगंज न सिर्फ एक विधानसभा सीट है, बल्कि यह सीमांचल क्षेत्र की राजनीतिक धुरी भी है. इसका इतिहास खगड़ा नवाब मोहम्मद फकीरुद्दीन के दौर से जुड़ा है. एक हिंदू संत के विरोध के बाद 'आलमगंज' नाम बदलकर ‘कृष्णा-कुंज' रखा गया, जो आगे चलकर 'किशनगंज' कहलाया. किशनगंज 14 जनवरी 1990 को पूर्णिया से अलग होकर जिला बना, जो आज 1,884 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है.

बिहार का इकलौता जिला जहां होती है चाय की खेती

यह जिला पूर्वी हिमालय की तलहटी में स्थित है, जहां महानंदा, मेची और कंकई जैसी नदियां बहती हैं. नेपाल और बंगाल की सीमाओं से सटे इस इलाके को पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. किशनगंज बिहार का एकमात्र ऐसा इलाका है जहां वाणिज्यिक स्तर पर चाय की खेती होती है.

किशनगंज की आबादी 2011 की जनगणना के अनुसार 16,90,948 थी, जिसमें मुस्लिम बहुलता है. यहां मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं.

किशनगंज में अभी तक हुए 19 में 17 चुनाव मुस्लिम जीते

किशनगंज में 19 में से 17 बार मुस्लिम उम्मीदवार यहां से विजयी रहे हैं. यहां तक कि 1967 में सुशीला कपूर के बाद कोई हिंदू उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर पाया. 57.04 फीसदी की साक्षरता दर और लगभग 897 लोगों की प्रति वर्ग किमी जनसंख्या घनत्व के साथ यह क्षेत्र बिहार की सामाजिक-सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करता है.

रेल और सड़क नेटवर्क का प्रमुख केंद्र

रेल और सड़क नेटवर्क के लिहाज से किशनगंज एक प्रमुख केंद्र है. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पटना और गुवाहाटी जैसे बड़े शहरों से सीधा रेल संपर्क है. एनएच 31 किशनगंज को बिहार और पूर्वोत्तर भारत से जोड़ता है. गरीब नवाज एक्सप्रेस, जो यहीं से शुरू होती है, इसकी रेल पहचान को और मजबूत बनाता है.

किशनगंज विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास

किशनगंज विधानसभा सीट पर अब तक 19 चुनाव हुए हैं. इनमें से कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की है, जबकि राजद ने 3 बार. अन्य दलों – जैसे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, जनता दल, लोकदल और एआईएमआईएम को एक-एक बार जीत मिली है. बीजेपी अब तक इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई है, हालांकि कई बार बेहद नजदीकी मुकाबले में वह जरूर रही है. 2010 में स्वीटी सिंह सिर्फ 264 वोटों से और 2020 में 1,381 वोटों से यहां से पराजित हुईं.

Advertisement

2020 में कांग्रेस की मिली जीत, AIMIM का भी बढ़ा जनाधार

2020 में कांग्रेस के इजहारुल हुसैन ने यह सीट जीती, जबकि AIMIM की बढ़ती पकड़ से मुस्लिम वोटों में बंटवारा देखा गया, जिसने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया. यदि 2025 में भी एआईएमआईएम मुस्लिम वोटों में सेंध लगा पाती है और हिंदू वोट एकजुट रहते हैं, तो बीजेपी पहली बार यहां जीत का स्वाद चख सकती है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
पूरे दिन की शूटिंग के बाद जब फिल्म की पूरी युनिट को मिली डरा देने वाली खबर