बिहार की सभी 243 सीटों के लिए मतों की गिनती का कार्य जारी है. बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा से अहम भूमिका निभाते रहे हैं. मुस्लिम और यादव समुदाय के बाद राज्य में सबसे बड़ी संख्या कुशवाहा वोटर्स की है. यह समाज पारंपरिक रूप से जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के साथ जुड़ा रहा है, लेकिन हाल के चुनावों में इसका रुझान पूरी तरह एकतरफा नहीं रहा. लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर कुशवाहा वोट महागठबंधन और इंडिया गठबंधन के खाते में भी गए थे, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह वोट बैंक अब पूरी तरह किसी एक दल के साथ नहीं है.
कुशवाहा समाज के कई दिग्गज नेता बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं. इनमें सम्राट चौधरी और उपेंद्र कुशवाहा जैसे नाम प्रमुख हैं, जो लंबे समय तक एनडीए के साथ जुड़े रहे हैं. इन नेताओं का प्रभाव इस समुदाय में काफी गहरा है.
आइए जानते हैं कुशवाहा बहुल सीटों का क्या है हाल है?
इस बार के विधानसभा चुनाव में भी एनडीए और महागठबंधन के बीच कुशवाहा वोटर्स को लेकर जोरदार खींचतान देखने को मिल रही है. एनडीए ने इस समाज को साधने के लिए 23 सीटों पर कोईरी उम्मीदवारों को टिकट दिया है. दूसरी ओर, महागठबंधन की तरफ से अकेले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 13 कोईरी उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. यह आंकड़ा बताता है कि दोनों गठबंधन इस समुदाय को लेकर कितने गंभीर हैं.














