बिहार की बिभूतिपुर सीट समस्तीपुर जिले के अंतर्गत आती है. ये बुढ़ी गंडक नदी के पश्चिमी तट पर है. इसकी भौगोलिक स्थिति गंगा के मैदानी क्षेत्र में आती है, जो इसकी जमीन को उपजाऊ बनाती है. यहां की मिट्टी में धान, गेहूं, मक्का और दालों की खेती होती है, इसलिए यहां की अर्थव्यवस्था भी मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. इसके साथ ही लघु उद्योग और हस्तशिल्प भी यहां की खासियत है.
इस सीट का राजनीतिक इतिहास, वामपंथ का गहरा प्रभाव
बिभूतिपुर सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का गहरा प्रभाव रहा है. इस सीट पर सिर्फ 1 बार जेडीयू जीत पाई है, लेकिन पिछले चुनाव में उसे भी हार का सामना करना पड़ा.1967 में जब इस विधानसभा क्षेत्र की नींव पड़ी तबसे लेकर अब तक यहां कई पार्टियों का कब्जा रहा. सबसे पहले भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई ने जीत दर्ज की, उस समय परमानंद सिंह मदन पहले विधायक बने. 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से गंगा प्रसाद जीते. 1972 और 1977 में बंधू महतो ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जीत हासिल की. 1980 में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई‑एम) के रामदेव वर्मा विधायक बने और 1990 के बाद से लंबे समय तक वे ही इस सीट पर कब्जा जमाए रखे. 2010 और 2015 में जेडीयू के रामबालक सिंह ने सीट जीती, लेकिन 2020 में जनता ने फिर से वामपंथ को मौका दिया, जब सीपीआई-एम के अजय कुमार ने रामबालक सिंह को 40,496 वोटों के भारी अंतर से हराया. 2020 के चुनावों की बात करें तो वोटरों ने सीपीआई-एम के अजय कुमार के साथ परिवर्तन को चुना. सीपीआई-एम से अजय कुमार को 73,822 वोट मिले और जेडीयू के रामबालक सिंह को 33,326 वोट.
इस सीट पर मुकाबला होने वाला है रोचक
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव इस सीट पर भी काफी रोचक होने वाले हैं. महागठबंधन यानी कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) ने इस सीट पर मजबूत पकड़ बना रखी है, लेकिन यदि एनडीए जातिगत समीकरणों को साधते हुए और यहां की परिस्थिति को देखते हुए सही उम्मीदवार मैदान में उतारे तो समीकरण पूरी तरह बदल भी सकते हैं. यहां जीतने के लिए जाति, संगठन और चुनावी रणनीति का सही समन्वय जरूरी है.
मतदाताओं का समीकरण जानें
बिभूतिपुर एक ग्रामीण इलाके वाली सीट है. 2011 की जनगणना के मुताबिक यहां अनुसूचित जाति के 47,689 और अनुसूचित जनजाति के 108 और मुस्लिम मतदाता 16,974 हैं.
बिभूतिपुर के लिए ये है बड़ी चुनौती
बिभूतिपुर से करीब 9 KM दूर रोसड़ा नाम का एक उपखंड स्तर का कस्बा है, जो क्षेत्रीय व्यापार और वाणिज्य का प्रमुख केंद्र है. वहीं जिला मुख्यालय समस्तीपुर 27 किलोमीटर दूर है. मंडल मुख्यालय दरभंगा सड़क मार्ग से करीब 125 किलोमीटर दूर है. इसलिए विकास और सुविधाओं के मामले में ये दूरी कहीं न कहीं बड़ी चुनौती भी है. (इनपुट IANS से भी)