Bihar Election Voting: बिहार में बंपर वोटिंग के बीच इन 10 सीटों पर हुआ सबसे कम मतदान, जानें वजह

बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है. अब तक की जानकारी के मुताबिक] बिहार में रिकॉर्ड 64.69% मतदान हुआ. यह बिहार चुनाव के इतिहास में सबसे ज्यादा मतदान पर्सेंट है.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर शाम पांच बजे तक 60.13 प्रतिशत मतदान हुआ है
  • पटना जिले में सबसे कम औसत मतदान प्रतिशत 55.02 प्रतिशत रहा, जो राज्य के कुल औसत से लगभग पांच प्रतिशत कम है
  • भोजपुर जिले की सीटों पर औसत मतदान प्रतिशत 53.24 रहा, जिसमें आरा और अगिआंव सीटों पर खासा कम वोटिंग हुई है
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 18 जिलों की 121 सीटों पर बंपर वोटिंग हुई है. अब तक की जानकारी के मुताबिक] बिहार में रिकॉर्ड 64.69% मतदान हुआ. यह बिहार चुनाव के इतिहास में सबसे ज्यादा मतदान पर्सेंट है. बिहार के ज्‍यादातर जिले में वोटर्स बढ़-चढ़कर बाहर निकले, लेकिन इस बीच कुछ ऐसे विधानसभा क्षेत्र भी देखने को मिले, जहां के वोटर्स में वोटिंग के प्रति बिल्‍कुल भी उत्‍साह देखने को नहीं मिला. इनमें सबसे ऊपर रहे पटना के वोटर्स, जहां सिर्फ 55.02% मतदान हुआ है, जो बिहार के कुल औसत वोटिंग प्रतिशत से लगभग 5 प्रतिशत कम है. मतदान के प्रति ऐसी ही उदासीनता भोजपुर के मतदाताओं में भी देखने को मिली, यहां की सीटों पर औसत मतदान प्रतिशत 53.24 रहा है.     

पटना जिले में सबसे कम वोटिंग

ऐसा माना जाता है कि आज के पढ़े-लिखे शहरी लोग अपने वोट की कीमत को पहचानते हैं. लेकिन बिहार में हुए मतदान में यह देखने को नहीं मिला है. शहरी क्षेत्रों में सबसे कम वोटिंग देखने को मिली है. पटना जिले में सबसे कम मतदाता अपने घरों से पोलिंग बूथ तक वोटिंग करने पहुंचे. पटना जिले की सभी विधानसभा सीटों पर औसत मतदान सिर्फ 58.40% हुआ है. यहां की दीघा विधानसभा सीट पर तो सिर्फ 41.40 प्रतिशत मतदान हुआ है. दीघा में मौजूदा विधायक संजीव चौरसिया हैं, जो बीजेपी से हैं. यह पटना के सबसे समृद्ध और पॉश इलाकों में से एक है. संजीव चौरसिया को इस बार दीघा से भाकपा (माले ) की दिव्या गौतम और जनसुराज के रितेश रंजन ने चुनौती दी है. दीघा के अलावा कुम्‍हारार सीट पर 41.40% और बांकीपुर में 40.97% वोट हुआ है.  

10 सीटें जहां हुई सबसे कम वोटिंग

  • दीघा विधानसभा सीट - 41.40% 
  • कुम्‍हारार विधानसभा सीट - 39.57
  • बांकीपुर विधानसभा सीट - 40.97 
  • आरा विधानसभा सीट - 45.07
  • अगिआंव विधानसभा सीट - 49.47
  • मुंगेर विधानसभा सीट - 49.84 
  • गौड़ाबौराम विधानसभा सीट - 50.80
  • बरबीघा विधानसभा सीट - 61.44
  • बिहारशरीफ विधानसभा सीट - 55.09 
  • तरारी विधानसभा सीट - 63.61

भोजपुर में बाहर नहीं निकले वोटर्स!

पटना के बाद जिस जिले में सबसे कम वोटिंग प्रतिशत देखने को मिला है, वो है भोजपुर. इस जिले की सीटों पर औसत मतदान प्रतिशत 53.24 रहा है. यहां अगिआंव सीट पर 49.47%, आरा में 45.07%, तरारी में 53.52% और जगदीशपुर में 54.83% मतदान हुआ है. आरा विधानसभा सीट भोजपुर जिले की हाई प्रोफाइल सीट में से एक है और यहां से बीजेपी नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह विधायक हैं. लेकिन यहां भी बेहद कम वोटर पोलिंग बूथ तक पहुंचे. अगियांव विधानसभा सीट पर CPI(ML)L का मजबूत गढ़ मानी जाती है, लेकिन यहां भी वोटरों में उत्‍साह देखने को नहीं मिला.  

किस जिले में कितनी वोटिंग

  1. बेगुसराय: 67.32

  2. भोजपुर: 53.24
  3. बक्सर: 55.10
  4. दरभंगा: 58.38
  5. गोपालगंज : 64.96
  6. खगड़िया: 60.65
  7. लखीसराय : 62.76
  8. मधेपुरा: 65.74
  9. मुंगेर : 54.90
  10. मुजफ्फरपुर: 64.63
  11. नालन्दा: 57.58
  12. पटना: 55.02
  13. सहरसा:: 62.65
  14. समस्तीपुर: 66.65
  15. सारण: 60.90
  16. शेखपुरा: 52.36
  17. सीवान: 57.41
  18. वैशाली: 59.45

मुंगेर और दरभंगा की इन सीटों पर भी बेहद कम वोटिंग

मुंगेर जिले की मुंगेर सीट पर सिर्फ 49.84% वोटिंग हुई है. मुंगेर विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक प्रणव कुमार की जगह कुमार प्रणय को मैदान में उतारा है. वहीं, राजद के प्रत्‍याशी अविनाश कुमार विद्यार्थी है. दरभंगा की गौराबौराम सीट पर भी बेहद कम सिर्फ 50.80% वोटिंग हुई है. गौराबौराम सीट पर आरजेडी से अफजल अली खान, वीआईपी से संतोष सहनी, बीजेपी से सुजीत कुमार सिंह और एआईएमआईएम के अख्तर शहंशाह चुनावी मैदान में है. 2020 में एनडीए गठबंधन में रहते हुए वीआईपी ने यह सीट जीती थी, लेकिन इस बार यहां कड़ा मुकाबला है.

कम वोटिंग की वजह क्‍या रही

बिहार में कुछ सीटों पर कम वोटिंग की वजह हैं. इनमें से एक वजह है, शहरी क्षेत्रों के वोटर्स में कम उत्साह. पटना जैसे शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत कम रहा है. कुम्हरार सीट पर 2020 में सिर्फ 35.3% वोटिंग हुई थी. हालांकि, इस बार यहां 39.52% वोट पड़े हैं. पलायन, स्थानीय नेतृत्व, और सामाजिक जागरूकता जैसे कारण भी मतदान में असमानता के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.  

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