मोहनिया सीट पर बदल गया खेल, श्वेता सुमन आउट, अब रवि पासवान को राजद का सपोर्ट, जानिए समीकरण

मोहनिया विधानसभा सीट पर आरजेडी उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी ने निर्दलीय रवि पासवान को समर्थन दे दिया है. अब इस सीट पर बीजेपी की संगीता कुमारी और आरजेडी समर्थित रवि पासवान के बीच सीधी टक्कर बन गई है, जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है.

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  • मोहनिया सीट पर आरजेडी ने श्वेता सुमन के नामांकन रद्द होने के बाद रवि पासवान को समर्थन दिया है
  • रवि पासवान पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं और पहले जेडीयू तथा समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं
  • मोहनिया विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और यहां दलित वोटरों की संख्या करीब पच्चीस प्रतिशत है
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच मोहनिया सीट का मुकाबला अचानक दिलचस्प हो गया है. आरजेडी उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी ने निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन देने का फैसला किया है. इससे इस सीट का पूरा समीकरण बदल गया है. रवि पासवान कोई नया चेहरा नहीं हैं. वह सासाराम के पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे हैं. छेदी पासवान 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर सासाराम से सांसद चुने गए थे. इससे पहले वह जेडीयू में थे और मोहनिया विधानसभा सीट से दो बार विधायक भी रह चुके हैं. रवि पासवान ने 2015 में समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा था, हालांकि उन्हें जीत नहीं मिली थी. अब आरजेडी के समर्थन से वह फिर मैदान में हैं और सीधा मुकाबला बीजेपी उम्मीदवार संगीता कुमारी से होने जा रहा है.

जानिए मोहनिया सीट का क्या रहा है समीकरण

मोहनिया विधानसभा सीट का इतिहास कई उतार-चढ़ाव वाला रहा है. 1952 में कांग्रेस के रामनगीना सिंह ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. इसके बाद अलग-अलग पार्टियों ने यहां अपना प्रभाव दिखाया. 2015 में पहली बार बीजेपी के निरंजन राम ने यह सीट जीती. लेकिन 2020 में आरजेडी की संगीता देवी ने निरंजन राम को 12,054 वोटों के अंतर से हराकर यह सीट छीन ली. अब वही संगीता देवी बीजेपी में शामिल हो चुकी हैं और इस बार उसी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं. यानी इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है.

क्या है सामाजिक समीकरण?

मोहनिया सीट सासाराम लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है. 2011 की जनगणना के अनुसार, इस क्षेत्र की आबादी करीब 3.9 लाख है. इसमें लगभग 98% ग्रामीण और 2% शहरी मतदाता हैं. यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है, और कुल आबादी में SC की हिस्सेदारी करीब 25% है. यही वजह है कि इस सीट पर दलित समाज के वोटरों की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है. यहां बीजेपी, आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू चारों दलों का अच्छा प्रभाव रहा है. 2019 की मतदाता सूची के अनुसार, यहां करीब 2.6 लाख वोटर और 285 मतदान केंद्र हैं.

पिछले चुनावों में क्या था हाल?

2020 के चुनाव में आरजेडी की संगीता देवी ने बीजेपी के निरंजन राम को हराकर पार्टी को बड़ी जीत दिलाई थी. हालांकि बाद में वो बीजेपी में शामिल हो गई थी. 2015 में बीजेपी के निरंजन राम ने कांग्रेस के संजय कुमार को हराकर इस सीट पर पहली बार भगवा झंडा लहराया था.

नामांकन रद्द होने से राजद प्रत्याशी को लगा झटका

नामांकन रद्द होने के बाद आरजेडी प्रत्याशी श्वेता सुमन भावुक हो गईं. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका नामांकन बीजेपी के दबाव में रद्द कराया गया. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा "बीजेपी को मुझसे और आरजेडी से डर है. बीजेपी उम्मीदवार का भी जाति प्रमाणपत्र लगा था, फिर भी मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया. यह लोकतंत्र के साथ अन्याय है."

मोहनिया सीट इस बार एक हाई-वोल्टेज मुकाबले में बदल चुकी है. एक ओर बीजेपी की ओर से मैदान में संगीता कुमारी हैं, जो 2020 में आरजेडी से जीती थीं. वहीं दूसरी तरफ आरजेडी अब निर्दलीय रवि पासवान को समर्थन दे रही है.यह सीट अब दल और चेहरा  दोनों की लड़ाई बन गई है. 

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