बिहार चुनाव 2025: कहलगांव विधानसभा सीट पर जेडीयू ने हासिल की जीत, आरजेडी को शिकस्त

कहलगांव कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. इस सीट पर कांग्रेस ने यहां 11 बार जीत दर्ज की है. सदानंद सिंह ने इस क्षेत्र से नौ बार विधायक बनकर कांग्रेस का दबदबा बनाए रखा.

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  • कहलगांव सीट बिहार के भागलपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है और सन्हौला, गोराडीह, कहलगांव प्रखंडों से बनी है
  • कांग्रेस ने कहलगांव सीट पर अब तक 11 बार जीत दर्ज की है और यह क्षेत्र परंपरागत कांग्रेस का गढ़ माना जाता था
  • कांग्रेस ने साल 2010 और साल 2015 में इस सीट पर जीत दर्ज की, जिसके बाद 2020 में भाजपा ने सीट पर कब्जा किया
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कहलगांव:

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में एनडीए को विशाल बहुमत मिल चुका है. वहीं महागठबंधन को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी. अबकी बार बिहार की कहलगांव सीट से शुभानंद मुकेश ने जनता दल (यूनाइटेड) से चुनाव जीतकर कुल 1,30,767 वोट हासिल किए, वहीं रजनीश भारती, जो राष्ट्रीय जनता दल से थे, हार गए और उन्हें 80,655 वोट मिले. तीसरे उम्मीदवार पवन कुमार यादव, एक निर्दलीय प्रत्याशी, को केवल 10,244 वोट मिले. यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि जनता दल (यू) ने इस मुकाबले में भारी जीत दर्ज की. बिहार की कहलगांव विधानसभा सीट सन्हौला, गोराडीह और कहलगांव प्रखंडों से मिलकर बनी है और भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह सीट 2020 में बीजेपी के पवन यादव ने जीती थी. 

चुनावी इतिहास

कहलगांव कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है. इस सीट पर अब तक कांग्रेस ने यहां 11 बार जीत दर्ज की है. सदानंद सिंह ने इस क्षेत्र से नौ बार विधायक बनकर कांग्रेस का दबदबा बनाए रखा. साल 2020 में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की, जब पवन यादव ने सदानंद सिंह के बेटे शुभानंद को हराया. 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने 11 बार जीत हासिल की है. जनता दल ने दो बार, जबकि सीपीआई, एक निर्दलीय, जद(यू), और भाजपा ने एक-एक बार जीत दर्ज की है. 

जातीय समीकरण

कहलगांव विधानसभा सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इसके अलावा ब्राह्मण, कोइरी, रविदास और पासवान समुदाय भी प्रभावशाली हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 3,31,391 पंजीकृत मतदाता थे,  यहां अनुसूचित जाति के 11.71%, अनुसूचित जनजाति के 1.12%, और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 18.1% है. केवल 6.95% मतदाता शहरी क्षेत्र से आते हैं.

स्थानीय मुद्दे

गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण यहां बाढ़ और कटाव की समस्या प्रमुख है. बाढ़, कटाव, रोजगार, कृषि, बिजली और सड़क जैसे मुद्दे चुनावी विमर्श में प्रमुखता से शामिल रहते हैं.

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