बिहार चुनाव 2025: बांका विधानसभा सीट का राजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक प्रोफाइल

2025 के चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को यहां पारंपरिक मुस्लिम-यादव समीकरण से आगे सोचकर नई रणनीति बनानी होगी.

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  • बांका विधानसभा सीट बिहार के बांका जिले में है, जो भागलपुर प्रमंडल का हिस्सा और झारखंड की सीमा से सटा हुआ है
  • 1951 से कांग्रेस का दबदबा रहा, लेकिन 1985 के बाद से भाजपा और राजद ने इस सीट पर प्रमुख जीत दर्ज की हैं
  • 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामनारायण मंडल ने लगातार तीसरी बार जीत हासिल की है
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बांका:

बिहार की बांका विधानसभा सीट बांका जिले में स्थित है, जो भागलपुर प्रमंडल का हिस्सा है. बांका शहर, आसपास के ग्रामीण इलाके और बाराहाट प्रखंड शामिल हैं. बांका जिला 1991 में भागलपुर से अलग होकर अस्तित्व में आया था और झारखंड की सीमा से सटा हुआ है. इसकी भौगोलिक बनावट झारखंड से मेल खाती है. यहां पर दक्षिण में पहाड़ी और वन क्षेत्र, जबकि उत्तर में समतल भूमि फैली हुई है.

राजनीतिक इतिहास और रुझान

साल 1951 में स्थापित इस सीट पर शुरुआती वर्षों में कांग्रेस का दबदबा रहा. लेकिन फिर 1985 के बाद से कांग्रेस को यहां कोई जीत नहीं मिली. चंद्रशेखर सिंह, जो बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रहे, कांग्रेस के टिकट पर जीतने वाले अंतिम उम्मीदवार थे. इसके बाद से बीजेपी और राजद ने यहां बारी-बारी से जीत हासिल की. बीजेपी ने अब तक आठ बार (जिसमें जनसंघ की एक जीत भी शामिल है) यह सीट जीती है, जबकि कांग्रेस 7 बार, राजद दो बार, जनता दल और स्वतंत्र पार्टी ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.

वर्तमान राजनीतिक स्थिति

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के रामनारायण मंडल ने राजद के जावेद इकबाल अंसारी को 16,828 वोटों के अंतर से हराकर लगातार तीसरी दफा जीत का स्वाद चखा. यहां से मंडल अब तक छह बार विधायक रह चुके हैं. जबकि बांका लोकसभा सीट पर जदयू के गिरधारी यादव ने 2024 में लगातार तीसरी बार जीत हासिल की और बांका विधानसभा क्षेत्र से 18,031 वोटों की बढ़त ली, जो इस जगह पर एनडीए की मजबूत पकड़ को दर्शाता है.

मतदाता और जातीय समीकरण

साल 2020 में बांका विधानसभा क्षेत्र में 2,54,480 पंजीकृत मतदाता थे, जो 2024 में बढ़कर 2,70,818 हो गए. मुस्लिम (13.5%) और यादव (22.3%) समुदाय यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इनके अलावा राजपूत, कोइरी और रविदास मतदाता भी प्रभावशाली तादात में हैं. अनुसूचित जाति की भागीदारी 11.26% और अनुसूचित जनजाति की 2.01 फीसद है. केवल 12.55% मतदाता शहरी हैं, जिससे यह एक प्रमुख ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्र बनता है. 2020 में यहां 62.62% मतदान हुआ था.

आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य

आपको बता दें कि  बिहार का बांका पारंपरिक रूप से एक व्यावसायिक केंद्र रहा है, लेकिन इसकी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार अब भी कृषि ही है. झारखंड के खनिज क्षेत्रों के पास होने से यहां औद्योगिक विकास की संभावनाएं हैं. मगर इसके बावजूद इसके, बांका को भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में गिना गया है. मंदार पर्वत, जहां समुद्र मंथन की पौराणिक कथा जुड़ी है, बांका का प्रमुख धार्मिक और पर्यटन केंद्र है.

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