बनमनखी विधानसभा: बीजेपी का अभेद्य किला और मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की विरासत

बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित बनमनखी विधानसभा सीट, न केवल पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, बल्कि इसका इतिहास बिहार की राजनीति के लिए गौरवपूर्ण रहा है.

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  • बनमनखी विधानसभा का गठन 1962 में हुआ और यह ग्रामीण कृषि आधारित क्षेत्र है जो अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है
  • यह क्षेत्र कभी सक्रिय चीनी मिल के कारण स्थानीय रोजगार का प्रमुख स्रोत था लेकिन तीस वर्षों से मिल बंद पड़ी है
  • बनमनखी में बाढ़ की समस्या गंभीर है तथा धान, मक्का, गेहूं और मत्स्यपालन स्थानीय अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार हैं
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बनमनखी:

बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित बनमनखी विधानसभा सीट, न केवल पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, बल्कि इसका इतिहास बिहार की राजनीति के लिए गौरवपूर्ण रहा है. यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और अपने पहले विधायक, बिहार के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री की राजनीतिक शुचिता की विरासत को संजोए हुए है. बनमनखी विधानसभा क्षेत्र की स्थापना वर्ष 1962 में हुई थी. यह बनमनखी सामुदायिक विकास खंड और बरहरा कोठी ब्लॉक के 11 ग्राम पंचायतों को मिलाकर बना है. यह क्षेत्र पूर्णतः ग्रामीण और कृषि आधारित है, जहां कुल मतदाताओं का 93.59% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों से आता है. इस सीट की पहचान भाजपा के मजबूत गढ़ और एक समय प्रसिद्ध रही बंद चीनी मिल से भी होती है.

क्या खास है?

1962 में कांग्रेस की टिकट पर चुने गए पहले विधायक भोला पासवान शास्त्री थे, जो बाद में तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री बने. 1967 में स्थापित चीनी मिल, जो कभी स्थानीय रोजगार का प्रमुख स्रोत थी, पिछले तीन दशकों से बंद पड़ी है. इसकी जमीन अब BIADA के पास है, लेकिन औद्योगिक पुनर्जागरण अभी तक नहीं हुआ है.

क्या मुद्दे रहे हैं?

पूर्वी बिहार के उपजाऊ मैदानों में स्थित होने के बावजूद, यह क्षेत्र कोसी नदी प्रणाली से पोषित होता है और बाढ़ की समस्या से लंबे समय से जूझता रहा है. बंद चीनी मिल और नए उद्योगों की कमी के कारण रोजगार सृजन एक प्रमुख चिंता है. धान, मक्का, गेहूं, केले की खेती और मत्स्यपालन स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार हैं, जिन्हें बेहतर बुनियादी ढांचे और बाजार की जरूरत है. SC, ST और मुस्लिम मतदाताओं का समीकरण

बनमनखी में जातिगत और समुदाय आधारित समीकरण महत्वपूर्ण हैं, चूंकि यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. अनुसूचित जाति (SC) 58,343 (18.97%), अनुसूचित जनजाति (ST) 18,023 (5.86%), मुस्लिम मतदाता 37,8291 (2.3%) अन्य 62.87% मतदाता हैं.

पिछली हार जीत

बनमनखी सीट का राजनीतिक इतिहास दो चरणों में बंटा हुआ है. 1962 से 1985 तक इस अवधि में कांग्रेस ने सात में से छह चुनाव जीते. 1990 से 2020 तक आठ में से सात चुनावों में भाजपा ने विजय हासिल की. भाजपा नेता और पूर्व मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि ने 2005 से लगातार पांच बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जो इस क्षेत्र में उनकी मजबूत पकड़ को दर्शाता है. 2020 विधानसभा चुनाव में कृष्ण कुमार ऋषि (BJP) ने 93,594 वोट पाकर जीत दर्ज की.

2024 के लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने बनमनखी विधानसभा खंड में 1,41,441 वोट प्राप्त कर जदयू के संतोष कुशवाहा (60,732 वोट) को 80,709 वोटों के भारी अंतर से पीछे छोड़ दिया था. यह परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए संभावित खतरे का संकेत देता है, क्योंकि पप्पू यादव फैक्टर इस बार भी एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है.

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माहौल क्या है?

आगामी चुनाव में मुकाबला मौजूदा विधायक कृष्ण कुमार ऋषि (BJP) और कांग्रेस (देवनारायण रजक) के नेतृत्व वाले महागठबंधन के बीच होने की उम्मीद है.

प्रमुख उम्मीदवार:

भाजपा: कृष्ण कुमार ऋषि

कांग्रेस (महागठबंधन): देवनारायण रजक

जनसुराज: मनोज कुमार ऋषि

बसपा: सुबोध पासवान

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी: आशा देवी

लगातार पांच बार के विधायक कृष्ण कुमार ऋषि की व्यक्तिगत लोकप्रियता और भाजपा के संगठनात्मक बल का मुकाबला, महागठबंधन की जातीय गोलबंदी और लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव के पक्ष में आए भारी मतों से होगा. बनमनखी की जनता इस बार जहां विकास के लंबित मुद्दों (खासकर चीनी मिल और बाढ़ नियंत्रण) पर वोट करेगी, वहीं SC, ST और मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव इस 'आरक्षित' सीट का भविष्य तय करेगा.

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