Bihar Elections: ‘छोटे सरकार’ बनाम ‘सूरजभान सिंह की पत्नी’, जानिए क्यों रोचक होता जा रहा है मोकामा का मुकाबला

मोकामा विधानसभा में बाहुबली अनंत सिंह और सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी आमने-सामने हैं. इस टक्कर ने बिहार की सियासत को गर्मा दिया है, यहां बाहुबल, जातीय समीकरण और पुराने इतिहास एक साथ भिड़ रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • मोकामा विधानसभा सीट पर बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह और राजद प्रत्याशी वीणा देवी के बीच मुकाबला है
  • मोकामा क्षेत्र में पिछले कई दशकों से बाहुबली राजनीति, जातीय समीकरण और धनबल का प्रभाव देखा जाता है
  • 2000 में जेल में बंद सूरजभान सिंह ने अनंत सिंह के बड़े भाई को हराकर मोकामा की राजनीति में तहलका मचा दिया था
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
बाढ़:

बिहार विधानसभा चुनाव का सबसे दिलचस्प मुकाबला मोकामा की मिट्टी में सुलग रहा है. यहां का राजनीतिक इतिहास जितना पुराना है, उतना ही विस्फोटक भी. इस बार मैदान में आमने-सामने हैं ‘छोटे सरकार' कहे जाने वाले बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह और राजद प्रत्याशी वीणा देवी, जो खुद कभी अंडरवर्ल्ड डॉन और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह की पत्नी हैं. इस सीट पर मुकाबले की तस्वीर साफ़ हो गई है. 1990 से अब तक मोकामा की सियासत पर बाहुबल, धनबल और जातीय समीकरण का गहरा असर रहा है. इस बार भी वही कहानी दोहराई जा रही है. बस किरदार बदले हैं, रंग नहीं.

मोकामा विधानसभा सीट क्यों है महत्वपूर्ण?

मोकामा विधानसभा सीट, जो मिथिला, मगध और अंग की सीमाओं के संगम पर स्थित है, बिहार की सबसे ‘हॉट' सीट मानी जा रही है. यहां बाहुबली राजनीति का इतिहास छह दशकों से भी पुराना है. 1969 में कांग्रेस के कामेश्वर प्रसाद सिंह से शुरू हुई यह सियासी यात्रा अब बाहुबल और प्रभावशाली घरानों की जंग में तब्दील हो चुकी है.

इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प है. एक ओर हैं चार बार विधायक रहे अनंत सिंह, जिन्हें ‘छोटे सरकार' के नाम से जाना जाता है. दूसरी ओर हैं राजद की वीणा देवी, जो 2014 में मुंगेर से सांसद चुनी जा चुकी हैं और कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन सूरजभान सिंह की पत्नी हैं.

जेल में रहते हुए सूरजभान सिंह ने दर्ज की थी जीत

वर्ष 2000 में सूरजभान सिंह ने जेल में रहते हुए अनंत सिंह के बड़े भाई और तत्कालीन मंत्री दिलीप कुमार सिंह को हराकर इतिहास रचा था. अब 25 साल बाद उनकी पत्नी वीणा देवी उन्हीं अनंत सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं. इतिहास मानो खुद को दोहरा रहा है. मोकामा के 2.8 लाख से ज़्यादा मतदाता इस बार ‘बाहुबल बनाम बाहुबल' के बीच झूलते दिखाई देंगे. यहां 1,48,494 पुरुष और 1,32,282 महिला मतदाता हैं. दिलचस्प बात यह है कि इस विधानसभा में जातीय समीकरण से ज़्यादा असर रखता है बाहुबल और स्थानीय प्रभाव.

औद्योगिक हब हुआ करता था मोकामा

मोकामा, जो एक वक्त औद्योगिक हब हुआ करता था. भारत बैंगन फैक्ट्री, सूत मिल, बाटा और मैकडॉवेल जैसी यूनिट अब खंडहर में बदल चुकी हैं. बेरोजगारी, पलायन और टाल की जलभराव समस्या अब भी मुख्य मुद्दे बने हुए हैं. किसानों का कहना है कि “नेता टाल के नाम पर वोट मांगते हैं, पर टाल में अब भी पानी भरा रहता है.”

1990 से लेकर अब तक मोकामा विधानसभा में अनंत सिंह का दबदबा रहा है. दिलीप कुमार सिंह ने 1990 और 1995 में जीत दर्ज की, 2000 में सूरजभान सिंह ने कब्जा किया, और फिर 2005 से लगातार अनंत सिंह या उनकी पत्नी नीलम देवी यहां की सियासत पर छाई रहीं. 2022 के उपचुनाव में नीलम देवी ने जीत दर्ज की.

Advertisement

राजद ने सूरजभान सिंह पर क्यों खेला दांव?

राजद ने अब बड़ा दांव खेलते हुए वीणा देवी को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी का मानना है कि सूरजभान सिंह का पुराने मतदाताओं में प्रभाव अब भी कायम है. वहीं अनंत सिंह का जनाधार और उनकी बाहुबली छवि उनके लिए डबल-एज तलवार साबित हो सकती है ताकत भी और चुनौती भी.

मोकामा की जनता आज भी कहती है कि “यहां चुनाव मुद्दों पर नहीं, असर पर जीतते हैं.” जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार विकास का एजेंडा आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं, वहीं मोकामा में आज भी चर्चा अपराध, प्रभुत्व और बाहुबल की रहती है. 

Advertisement

बाढ़ से चंदन कुमार की रिपोर्ट

Featured Video Of The Day
IPS Y Puran Case: IPS के लैपटॉप में ख़ुदकुशी के राज़? | Top News | NDTV India | Latest News
Topics mentioned in this article