टिकारी: इस ऐतिहासिक विधानसभा सीट पर इस बार भी बदल गया चुनावी समीकरण 

यह सीट बिहार विधानसभा की सीट संख्या 231 है और यह जनरल कैटेगरी में आती है. टिकारी विधानसभा, औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यहां मतदाताओं की संख्या 2020 के चुनाव के दौरान लगभग 3.10 लाख थी और करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • टिकारी विधानसभा का ऐतिहासिक एवं सामाजिक महत्व दोनों है जो ब्रिटिश काल के जमींदारी केंद्र से जुड़ा है.
  • यह सीट बिहार विधानसभा की संख्या 231 है और 2020 के चुनाव में करीब 60 प्रतिशत मतदान के साथ 3.10 हजार वोटर्स थे.
  • टिकारी क्षेत्र में जातीय विविधता है जिसमें कोरी यादव अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाता प्रमुख भूमिका निभाते हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

टिकारी विधानसभा सीट (गया) की एक अहम राजनीतिक सीट है. इस सीट का अपना एक एतिहासिक और सामाजिक महत्व दोनों ही हैं. गया जिले में स्थित यह क्षेत्र कभी मशहूर टिकारी राज के लिए जाना जाता था जो ब्रिटिश काल में एक प्रभावशाली जमींदारी केंद्र रहा. यहां के पुराने भवनों और किलों के अवशेष आज भी उस गौरवशाली इतिहास की झलक दिखाते हैं. टिकारी इलाका सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी समृद्ध है, यह क्षेत्र गया जिले के मध्य में स्थित होने के कारण राजनीतिक रूप से हमेशा चर्चित रहा है.टिकारी में इस बार आरजेडी की जीत हुई है और पार्टी के नेता अजय कुमार ने HAM के अनिल कुमार को मात दी. उन्‍होंने अनिल कुमार को 2058 वोटों से हराया और नया समीकरण यहां पर देखने को मिला. 

पिछली बार 60 फीसदी वोटिंग 

यह सीट बिहार विधानसभा की सीट संख्या 231 है और यह जनरल कैटेगरी में आती है. टिकारी विधानसभा, औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यहां मतदाताओं की संख्या 2020 के चुनाव के दौरान लगभग 3.10 लाख थी और करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था. इस क्षेत्र में गांवों की संख्या ज्‍यादा है, लेकिन कई छोटे कस्बे और बाजार भी हैं जो इसके शहरी स्‍वरूप को भी बरकरार रखते हैं. 

मुद्दे और जातीय समीकरण 

टिकारी सीट की राजनीतिक तस्वीर हमेशा से परिवर्तनशील रही है. यह इलाका जातीय रूप से विविध है, यहां कोरी, यादव, अनुसूचित जाति और मुस्लिम मतदाताओं का मजबूत प्रभाव है. कृषि, सिंचाई, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े मुद्दे यहां के मतदाताओं के बीच सबसे अहम रहे हैं. साथ ही, रोजगार और स्थानीय विकास कार्यों की कमी को लेकर लोगों में असंतोष भी समय-समय पर झलकता रहा है. यह क्षेत्र अभी भी ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के विस्तार की ओर देख रहा है, और यही कारण है कि चुनावों में विकास हमेशा प्रमुख एजेंडा बन जाता है. 

एक दल को स्‍थायी समर्थन नहीं 

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में टिकारी सीट से अनिल कुमार (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा – हम) ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने करीब 70,359 वोट हासिल किए, जबकि सुमंत कुमार (कांग्रेस) को 67,729 वोट मिले. जीत का अंतर बेहद कम, सिर्फ 2,630 वोटों का रहा. तीसरे स्थान पर लोजपा के उम्मीदवार रहे जिन्होंने करीब 16 हजार वोट प्राप्त किए. यह नतीजे इस बात का संकेत है कि टिकारी में मुकाबला बेहद करीबी रहता है और मतदाता किसी एक दल को स्थायी समर्थन नहीं देते.  

Featured Video Of The Day
Dog Bites, Safety और विज्ञान की सच्चाई समझें Dr. Anurupa Roy के साथ | Stray Dogs | Dog Attack