कैमूर में विकास की नई इबारत: नीतीश सरकार की योजनाओं से बदल रहा है ग्रामीण बिहार का चेहरा

मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार जी ने योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 

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मंत्री अशोक चौधरी ने की सीएम नीतीश के योजनाओं की तारीफ
कैमूर:

बिहार में विधानसभा चुनाव के होने में भले अभी कुछ महीनों का वक्त बचा हो लेकिन इसे लेकर तैयारियों का दौर अभी से ही शुरू हो गया है. सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष के नेता अभी से जनता के बीच जाकर अपनी बात पहुंचाने की कोशिशों में जुट गए हैं. इसी कड़ी में बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने एक कार्यक्रम के दौरान नीतीश सरकार के विकास कार्यों से जनता को रूबरू कराया. 

उन्होंने इस दौरान कहा कि महाभारत के अर्जुन की तरह एक लक्ष्य पर केंद्रित होकर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्षों से राज्य के सर्वांगीण विकास को अपना ध्येय बना लिया है. चाहे शिक्षा हो, महिला सशक्तिकरण हो, या फिर ग्रामीण सड़कों और पुलों का जाल बिछाना , मुख्यमंत्री की दूरदर्शी नीतियों ने बिहार को एक नई पहचान दी है. कैमूर ज़िले के भभुआ और चैनपुर विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित ग्रामीण विकास विभाग के जनसंवाद कार्यक्रम में मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार जी ने योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. 

शिक्षा में ऐतिहासिक बदलाव

2005 में जहां 10.5% बच्चों का स्कूल छोड़ने का दर था, आज यह घटकर 1% से भी कम हो गया है. महादलित, अल्पसंख्यक और अतिपिछड़े वर्ग के बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए ‘तालीमी मरकज़' और ‘टोला सेवक' जैसी योजनाएं शुरू की गईं. बालिका पोशाक योजना और साइकिल योजना जैसी पहल ने लाखों बेटियों को स्कूल लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. आज मैट्रिक परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की संख्या 18 लाख से अधिक है, जिसमें 8.5 लाख बेटियां हैं , यह अपने आप में नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है.

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महिला सशक्तिकरण की मिसाल

‘जीविका दीदी' और ‘दीदी की रसोई' जैसी योजनाएँ न केवल ग्रामीण महिलाओं को रोज़गार दे रही हैं, बल्कि उन्हें सामाजिक नेतृत्व भी प्रदान कर रही हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में “महिला संवाद” कार्यक्रम के लिए ₹225.78 करोड़ का बजट इसका स्पष्ट प्रमाण है.  इन पहलों को विश्व बैंक, यूनिसेफ़ और अन्य राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने भी सराहा है.

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कृषि क्षेत्र में भी हुई क्रांति

2008 से अब तक चार कृषि रोड मैप लागू किए गए हैं, जिनसे फसल उत्पादन में जबरदस्त वृद्धि हुई है. चावल, गेहूँ और मक्का उत्पादन में उपलब्धियों के लिए बिहार को भारत सरकार से पाँच बार ‘कृषि कर्मण पुरस्कार' मिला है. यह राज्य की सफल कृषि नीति का राष्ट्रीय प्रमाण है.

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ग्रामीण सड़कों और पुलों का जाल

ग्रामीण सड़क सुदृढ़ीकरण एवं बंधन कार्यक्रम (RRSMP) के तहत कैमूर ज़िले में 2024-25 में 109 सड़कों की मरम्मत, सुदृढ़ीकरण और चौड़ीकरण के लिए ₹223.16 करोड़ स्वीकृत हुए हैं. 2025-26 में भी 22 सड़कों (लंबाई 49.19 किमी) पर ₹35.07 करोड़ खर्च किए जाएंगे.
 

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