आजकल पुरानी कारें खरीदना काफी आसान हो गया है. लोग अपने या फिर कमर्शियल इस्तेमाल के लिए पुरानी कार ज्यादा खरीदते हैं. पुरानी कार खरीदना एक समझदारी भरा फैसला हो सकता है, क्योंकि कम बजट में अच्छी गाड़ी मिल जाती है. लेकिन थोड़ी सी लापरवाही आपको भारी नुकसान में डाल सकती है. कई बार गाड़ी बाहर से बिल्कुल ठीक दिखती है, लेकिन अंदर से बड़ी समस्याएं छिपी होती हैं. इसलिए पुरानी कार लेते समय कुछ बेहद जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, ताकि आपका पैसा और समय दोनों सुरक्षित रह सके.
कार के डॉक्यूमेंट्स - पुरानी कार खरीदते समय सबसे पहली और जरूरी चीज होती है उसके कागजात. RC यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट और सर्विस रिकॉर्ड को ध्यान से जांचना चाहिए. RC पर इंजन नंबर और चेसिस नंबर गाड़ी से मैच करना जरूरी है. अगर कार लोन पर थी, तो NOC जरूर लें. बिना पूरे डॉक्यूमेंट्स के कार खरीदना भविष्य में कानूनी परेशानी खड़ी कर सकता है.
एक्सीडेंट हिस्ट्री - कई बार कार को एक्सीडेंट के बाद रिपेयर कर दिया जाता है और बाहर से वह नई जैसी लगने लगती है. इसलिए कार के बॉडी पैनल, पेंट की मोटाई और वेल्डिंग पर ध्यान दें. अगर दरवाजों या बोनट के गैप बराबर नहीं हैं, तो यह एक्सीडेंट का संकेत हो सकता है. गंभीर एक्सीडेंट वाली कार आगे चलकर सेफ्टी और परफॉर्मेंस दोनों में समस्या देती है.
इंजन की कंडीशन - इंजन किसी भी कार का दिल होता है. पुरानी कार खरीदते समय इंजन की आवाज, स्मोक और वाइब्रेशन पर खास ध्यान दें. अगर इंजन से ज्यादा आवाज आ रही है या धुआं निकल रहा है, तो यह महंगे रिपेयर का संकेत हो सकता है. गाड़ी को ठंडे इंजन में स्टार्ट करके देखें और टेस्ट ड्राइव जरूर लें, ताकि गियर, क्लच और ब्रेक की सही हालत समझ में आ सके.
ओडोमीटर - अक्सर पुरानी कारों में किलोमीटर मीटर से छेड़छाड़ की जाती है. कम माइलेज दिखाने के लिए ओडोमीटर को पीछे कर दिया जाता है. इसलिए सर्विस रिकॉर्ड और गाड़ी के अंदरूनी घिसाव जैसे स्टीयरिंग, पैडल और सीट्स की हालत देखकर असली माइलेज का अंदाजा लगाएं.
कार की उम्र - भारत में कार की वैध उम्र 15 साल होती है. अगर आप पुरानी कार खरीद रहे हैं, तो उसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट जरूर जांचें. 15 साल पूरे होने पर गाड़ी को दोबारा रजिस्टर कराना पड़ता है, जिसमें अच्छा-खासा खर्च आता है. खासकर डीजल कारों के मामले में नियम और भी सख्त हैं, इसलिए खरीदने से पहले अपने राज्य के नियम जरूर समझ लें.
कार सर्विस - कई लोग सिर्फ सस्ती कीमत देखकर कार खरीद लेते हैं, लेकिन बाद में पता चलता है कि उसके स्पेयर पार्ट्स महंगे या आसानी से उपलब्ध नहीं हैं. इसलिए जिस मॉडल की कार ले रहे हैं, उसके सर्विस सेंटर और पार्ट्स की उपलब्धता की जानकारी पहले ही ले लें.
नेगोशिएशन - पुरानी कार खरीदते समय बाजार कीमत की जानकारी होना बहुत जरूरी है. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और लोकल डीलर्स से उसी मॉडल की कीमतों की तुलना करें. अगर कार में कोई कमी है, तो उसी आधार पर कीमत कम करवाएं. जल्दबाजी में फैसला लेना नुकसानदेह हो सकता है, इसलिए सोच-समझकर ही डील फाइनल करें.














