सिर्फ 1 हफ्ते में बन जाएंगे कमाल के ड्राइवर, जान लें ये 5 ड्राइविंग टिप्स

Driving Tips: इसके अलावा सबसे जरूरी है कि बेहतर ड्राइविंग के लिए स्ट्रेस-फ्री रहें. घबराहट या तनाव में गाड़ी चलाने से निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और हादसे की संभावना बढ़ जाती है. 

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Car driving tips: कार चलाने सीखने की कोई उम्र नहीं होती लेकिन सभी को गाड़ी चलाते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना होता है. अब चाहे आप नए ड्राइवर हो या कई सालों से गाड़ी चला रहे हों, सुरक्षित और समझदारी से ड्राइव करने के लिए अच्छी ड्राइविंग आदतें अपनाना बेहद जरूरी है. सही ड्राइविंग के तरीके न सिर्फ आपको सुरक्षित रखती है, बल्कि सड़क पर मौजूद दूसरे ड्राइवरों और पैदल चलने वालों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करते हैं. अनुभव कितना भी क्यों न हो, सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है. इसीलिए आज आपको यहां बता रहे हैं 5 कमाल के टिप्स, जो आपकी ड्राइविंग स्किल्स को और निखार देंगे. 

1. सही सीटिंग पोजिशन
अच्छी ड्राइविंग की शुरुआत सही सीटिंग पोजिशन से होती है. ज्यादातर लोग, खासकर नए ड्राइवर, इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं. ड्राइविंग सीट इस तरह एडजस्ट होनी चाहिए कि आप पैडल, गियर और स्टीयरिंग को आराम से कंट्रोल कर सकें. सीट न ज्यादा पीछे हो और न ही बहुत आगे, ताकि पैर और कमर पर दबाव न पड़े. सही पोजिशन में बैठकर ड्राइव करने से थकान कम होती है और लंबे समय तक फोकस बनाए रखना आसान हो जाता है. इसीलिए गाड़ी में बैठकर कुछ मिनट सिर्फ इस काम में लगाएं.

2. स्टीयरिंग पकड़ने का तरीका
स्टीयरिंग व्हील पकड़ने का एक साइंटेफिक तरीका होता है, जो ड्राइविंग कंट्रोल को बेहतर बनाता है. आमतौर पर स्टीयरिंग को घड़ी की 10 और 2 की पोजिशन पर हाथ रखकर पकड़ने की सलाह दी जाती है. इससे गाड़ी पर बेहतर पकड़ बनी रहती है और अचानक मोड़ या ब्रेक के समय संतुलन नहीं बिगड़ता. सही तरीके से स्टीयरिंग पकड़ना नए ड्राइवरों के लिए खासतौर पर जरूरी है, क्योंकि इससे आत्मविश्वास भी बढ़ता है.

3. ड्राइवर की भाषा
यानी ड्राइविंग के दौरान हॉर्न और टर्न इंडिकेटर ही दूसरे ड्राइवरों से बात करने का जरिया होते हैं. हॉर्न का इस्तेमाल जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए, ताकि सामने वाले को आपकी मौजूदगी का संकेत मिल सके. बेवजह या बार-बार हॉर्न बजाना गलत आदत है, खासकर ट्रैफिक सिग्नल या धीमी रफ्तार वाली गाड़ियों के पीछे. वहीं, मोड़ लेते समय या लेन बदलते समय इंडिकेटर का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. इससे दूसरे ड्राइवर पहले से सतर्क हो जाते हैं और दुर्घटना की संभावना कम हो जाती है.

4. सामने वाली गाड़ी से दूरी 
ट्रैफिक हो या हाईवे, सामने चल रही गाड़ी से सुरक्षित दूरी बनाए रखना एक अच्छी और स्मार्ट ड्राइविंग आदत है. बहुत पास से गाड़ी चलाने की आदत, जिसे टेलगेटिंग कहा जाता है, दुर्घटना का बड़ा कारण बन सकती है. अगर सामने वाली गाड़ी अचानक ब्रेक लगा दे, तो प्रतिक्रिया का समय कम पड़ जाता है और टक्कर का खतरा बढ़ जाता है. सुरक्षित दूरी बनाए रखने से न सिर्फ आपके पास सोचने और प्रतिक्रिया देने का समय रहता है, बल्कि गाड़ी को संभालने की जगह भी मिलती है.

5. अपनी गाड़ी को समझें
अपनी कार की मैन्युअल और स्पेसिफिकेशन को ध्यान से पढ़ें. इससे सही मेंटेनेंस करने में मदद मिलती है और डैशबोर्ड पर दिखने वाले वार्निंग साइन को समझना आसान होता है. इसके लिए अपनी गाड़ी से जुड़ी हर चीज़ के बारे में पढ़ें और उसे जानें. इससे आप इमरजेंसी में बचने का कोई न कोई तरीका जरूर ही ढूंढ लेंगे. इसीलिए अपनी गाड़ी को जानें.

Advertisement

इसके अलावा सबसे जरूरी है कि बेहतर ड्राइविंग के लिए स्ट्रेस-फ्री रहें. घबराहट या तनाव में गाड़ी चलाने से निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और हादसे की संभावना बढ़ जाती है. 
 

Featured Video Of The Day
Goa Nightclub Fire News: लूथरा भाइयों को गोवा ले जा रही पुलिस | Luthra Brothers NEWS | BREAKING
Topics mentioned in this article