मुलायम सिंह यादव के साथ शिवपाल यादव
खास बातें
- यूपी चुनावों के बाद पार्टी बनाने का किया ऐलान
- अखिलेश गुट ने शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया
- चाचा-भतीजे के संघर्ष की परिणति अखिलेश के पक्ष में रही
नई दिल्ली: सपा में हाशिए पर चल रहे नेता शिवपाल यादव ने ऐलान किया है कि वह 11 मार्च के बाद नई पार्टी का गठन करेंगे. उन्होंने रोष जाहिर करते हुए कहा कि मेरे समर्थकों के टिकट काट दिए गए हैं. अब ये लोग कहां जाएंगे. इस बीच इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार वह अपनी परंपरागत सीट जसवंतनगर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेंगे. हालांकि उन्होंने अभी तक यही कहा है कि ये सब अफवाहें हैं और वह सपा के चुनाव निशान साइकिल से ही चुनाव लड़ेंगे.
दरअसल सपा की कमान अखिलेश यादव के हाथों में पूरी तरह से आने के बाद शिवपाल यादव पार्टी में एकदम हाशिए पर पहुंच गए हैं. दरअसल जब वह पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे तो उन्होंने मुलायम सिंह के साथ मिलकर दिसंबर में प्रत्याशियों की सूची जारी की थी. उसके बाद पार्टी में जबर्दस्त घमासान के बाद अंतिम रूप से जब कमान अखिलेश को मिली तो उन्होंने उस सूची को खारिज कर दिया और अपनी नई सूची जारी की. उसके बाद शिवपाल और मुलायम समर्थकों के टिकट काटकर अखिलेश ने अपने समर्थकों को टिकट दिए. पिता-पुत्र में सुलह होने के बाद मुलायम ने अपने 38 समर्थकों की सूची अखिलेश काे दी थी. अखिलेश ने उसमें से भी कुछ लोगों को टिकट नहीं दिया. मुलायम ने जब पहली बार ये 38 नाम दिए थे तब उसमें शिवपाल का नाम नहीं था और उनकी जगह बेटे आदित्य का नाम था. बाद में शिवपाल का नाम उसमें जोड़ा गया. शिवपाल यादव इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं.
हालांकि अब सपा-कांग्रेस गठबंधन होने के बाद भी सियासी तस्वीर बदल गई है. मुलायम ने इस गठबंधन का खुलेतौर पर विरोध करते हुए कहा है कि वह इसके समर्थन में चुनाव प्रचार नहीं करेंगे. मुलायम खेमे का मानना है कि इससे उनके समर्थकों का नुकसान होगा और पार्टी कार्यकर्ता कांग्रेस को दी गई सीटों पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उन्होंने अपने समर्थकों और अखिलेश के बागियों से भी कहा है कि वह कांग्रेस की सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरें और वह उनका समर्थन करेंगे. शिवपाल की नाराजगी को मुलायम की इस घोषणा से भी जोड़कर देखा जा रहा है. इसकी वजह यह है कि शिवपाल ने यह कहा भी है कि उनके समर्थक यदि उनको प्रचार के लिए बुलाएंगे तो वह उनका प्रचार करने जाएंगे. यानी साफ है कि मुलायम-शिवपाल के कई समर्थकों जिन्होंने अखिलेश से नाराजगी के चलते पार्टी छोड़ी है, उनका प्रचार करने शिवपाल जाएंगे.
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले सपा में यादव परिवार के बीच में जबर्दस्त घमासान मचा था. उस दौरान पार्टी में दो फाड़ हो गया था. एक तरफ मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव थे तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव और रामगोपाल थे. उसकी परिणति सपा में तख्तापलट के रूप में हुई. अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. शिवपाल यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. चुनाव निशान पर कब्जे की लड़ाई का मामला चुनाव आयोग के पास पहुंचा. चुनाव आयोग के अखिलेश के पक्ष में फैसला देने के बाद एक तरफ से उनको वैधानिक मान्यता मिल गई.