एक ही पेड़ से बाप और बेटे ने लटक कर अपनी जान दे दी. काशीराम मुधोलकर और उनके बेटे अनिल कर्ज में डूब गए. पांच एकड़ खेत में फसल लगाई मगर तीन साल धोखा खा गए. बेटा बीमार था और परिवार के पास पैसे नहीं थे. जय जवान जय किसान के नारे में हम करोड़ों फूंक देते हैं और हमारा किसान पचास हज़ार से लेकर तीन लाख के कर्जे के कारण आत्महत्या कर लेता है. सोचिये वो क्या परिस्थितियां रही होंगी जब बाप और बेटे ने तय किया होगा कि एक ही पेड़ से लटक कर आत्महत्या करते हैं.