बीजेपी अब अपनी तरफ से कोशिश कर रही है कि जितने भी उनके पुराने साथी हैं, जो पारंपरिक तौर पर, विचारधारा के तौर पर बीजेपी के साथ जुड़े रहे हैं, वो आज भी उनके साथ जुड़े हैं. लेकिन ये होना कोई आसान बात नहीं है. मिसाल के तौर पर बीजेपा और शिवसेना का रिश्ता वर्षों पुराना है. पहले शिवसेना लीड पार्टी थी, लेकिन अब सियासत बदल चुकी है. यह मोदी-शाह का युग है. अब महाराष्ट्र में बीजेपी लीड पार्टी है. इस एपिसोड का पहल प्वाइंट क्या बीजेपी और शिवसेना के रिश्ते सुधर पाएंगे? दूसरा प्वाइंट यह है कि क्या बीजेपी 2019 के लिए नए साथी ला सकती है? तीसरा प्वाइंट क्या टीडीपी जैसे साथियों को बीजेपी वापस ला पाएगी? चौथा प्वाइंट आज बीजेपी के खिलाफ खड़े कई दल एक समय में एनडीए के साथ रह चुके हैं,क्या बीजेपी सेंध लगा पाएगी? पांचवां प्वाइंट यह है कि क्या 2019 एक पार्टी के असर की सियासत दिखाएगा या अलग-अलग क्षेत्रीय पार्टियों की. इन्हीं सब बिंदुओं पर आज के इस खास एपिसोड में चर्चा होगी.