मंगलवार को दिल्ली शांत नहीं हो सकी है. जैसे ही लगता है कि हालात सामान्य हो रहे हैं, कहीं और से हिंसा और घायलों की खबरें आने लगती हैं. इस हिंसा को नहीं रोक पाने के लिए कौन ज़िम्मेदार है. यह सवाल गृहमंत्री अमित शाह से शुरू होता है, फिर पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक पर जाता है फिर उप राज्यपाल और फिर मौके पर तैनात पुलिस पर पहुंचते ही दोनों पक्षों में बंट जाता है, जो अपना संतुलन खो चुके हैं और पथराव से लेकर गोलीबारी पर उतर आए हैं. गोली लगने से हुई मौत और घायलों की संख्या बताती है कि दिल्ली में सब कुछ बेलगाम हो गया है. 19-20 साल के लड़के ईंट चलाते देखे जा रहे हैं, डंडे लेकर चौराहे पर अपने अपने धर्म के रक्षक बने घूम रहे हैं. सिर्फ गुरुतेग बहादुर अस्पताल में जो 150 घायल भर्ती हुए हैं उनमें से करीब 44 लोग गोली लगने से घायल हुए हैं. मंगलवार को गोली लगने से घायल हुए 21 लोग जीटीबी अस्पताल मे भर्ती हुए हैं.