वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज एक परिपाटी बदली. पहले वित्त मंत्री ब्रीफकेस में बजट पेश किया करते थे लेकिन आज निर्मला सीतारमण ने ब्रीफकेस की परंपरा बदल दी. ब्रीफकेस की जगह लाल रंग के कपड़े में बजट लिपटा था. जैसे व्यापारी बहीखाते को लपेट कर रखते हैं और बहीखाते का रंग भी लाल ही होता है. इस पर अलग से बहस हो सकती है लेकिन इसके बारे में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने जो कहा उस पर गौर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह भारतीय परंपरा है. जो बता रही है कि हम पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकल आए हैं. उनका यह बयान टाइम्स आफ इंडिया ने ट्वीट किया है. बजट पेश करने में नई परंपराएं बनती रहती हैं, पुरानी टूटती रहती हैं. इसे इसी रूप में देखना चाहिए. अति उत्साही आर्थिक सलाहकार ने कहा कि हम पश्चिमी विचारों की गुलामी से निकल आए हैं. क्या गुलामी कहना जरूरी था? लेकिन यही अर्थशास्त्री एक दिन पहले बता रहे थे कि कैसे भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका के शिकागो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के विचारों से प्रेरित है. क्या वह पश्चिम के विचारों की गुलामी कही जाएगी, जबकि खुद अर्थशास्त्री पश्चिमी वस्त्र परंपरा में सुसज्जित नजर आए.