ये सवाल लगातार पूछा जा रहा है कि रेप के आरोपी चिन्मयानंद की गिरफ़्तारी कब होगी. आज ये सवाल उस पीड़ित लड़की ने भी पूछा जिसने तीन दिन पहले अदालत में अपना बयान दर्ज कराया था. लेकिन अभी यह भी साफ़ नहीं है कि इस केस की जांच कर रही एसआइटी ने चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ एफआइआर भी दर्ज की है या नहीं. क्या चिन्मयानंद को इसलिए बचाया जा रहा है कि वो बीजेपी के ताकतवर नेता रहे हैं और अटल सरकार में मंत्री भी रहे हैं? वरना एसआइटी कानून की अनदेखी कैसे कर सकती है कि रेप के मामलों में पीड़ित के आरोप के बाद गिरफ़्तारी ज़रूरी है?