गंगा... क़रीब ढाई हज़ार किलोमीटर लंबी ये नदी देश की 43% आबादी की जीवनरेखा है. हज़ारों साल से गंगा-यमुना का मैदान इसकी वजह से लहलहाता रहा है. लेकिन हमारी आपराधिक लापरवाही से इस जीवनदायिनी गंगा का अस्तित्व आज ख़ुद भारी संकट में पड़ गया है. पांच राज्यों से गुज़रने के दौरान जगह-जगह बने बांधों, बैराजों ने गंगा का रास्ता रोक दिया है. इस लंबे सफ़र में ज़हरीला कचरा लिये हज़ारों गंदे नाले इस नदी में समा रहे हैं. हालात ये हो गए हैं कि वाराणसी तक आते-आते इस नदी में अपना सिर्फ़ 1% ही पानी रह जाता है. यही वजह है कि सत्ता में आते ही गंगा की सफ़ाई को नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी पहली प्राथमिकता बताया. गंगा के पहले सौ किलोमीटर को केंद्र सरकार ने इको सेंसिटिव ज़ोन घोषित किया. गोमुख से लेकर उत्तरकाशी तक जहां गंगा भागीरथी के नाम से जानी जाती है. ताकि गंगा यहां अपने मूल स्वरूप में अक्षुण्ण रह सके.