नीतीश के दोबारा बीजेपी के साथ आने से राजनीति बदल गई है. अभी देखना बाकी है कि 2019 के पहले या उसके बाद मोदी-शाह की आक्रामक बीजेपी के साथ नीतीश कुमार का अनुभव कैसा रहता है. फिलहाल समाजवादी आंदोलन से भी भारत की राजनीति मुक्ति की तरफ प्रशस्त लग रही है. कांग्रेस ही नहीं, कांग्रेस विरोध के नाम पर खड़े हुए क्षेत्रिय दलों के सामने भी अस्तित्व की चुनौतियां मंडरा रही हैं.