दिल्ली के इंदिरा गांधी इंदौर स्टेडियम में देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों के साथ मिलकर डिजिटल इंडिया की जो चमकती और लुभावनी तस्वीर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेश की है, क्या उसमें अपनी छूटी हुई पगडंडियों को खोजते वे अंधेरे गांव और कस्बे भी शामिल होंगे जो इस चमक-दमक की क़ीमत चुका रहे हैं? बहुत सारे लोगों की निगाह में ये सवाल पूछना भी अपने विघ्नसंतोषी होने का सबूत देना है- लेकिन इससे विकास की वह विडंबना अलक्षित नहीं रह जाती जिसमें एक तरफ़ जितनी चमक-दमक होती है, दूसरी तरफ उतना ही अंधेरा होता है।