सभी धर्मों और जातियों के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण को लेकर संसदीय राजनीति में कोई खास विरोध नहीं हुआ. अब आते हैं विरोध के उन पहलुओं पर जो रोज़ देश के किसी न किसी हिस्से में हो रहा होता है मगर उनके लिए कोई भी दल सामने नहीं आता है. सभी प्रकार की सरकारों से आज तक ये न हुआ कि एक पारदर्शी और ईमानदार परीक्षा व्यवस्था दे सकें जिस पर सबका भरोसा हो.