विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर की खबर को लेकर हिन्दी अखबारों का रवैया समझ नहीं आ रहा है. किसी संस्करण में खबर है भी तो वहां आरोप का विस्तार से ज़िक्र नहीं है. बहुत से बहुत दस बीस लाइन की खबरें हैं, जिनमें राजनीतिक आरोप का ही ज़्यादा ज़िक्र है. जैसे इंडियन एक्सप्रेस में यह खबर पहले पन्ने पर है? यह खबर भी राजनीतिक प्रतिक्रिया को लेकर है, लेकिन काफी विस्तार से इसमें एक्सप्रेस के संवाददाताओं ने बीजेपी की महिला सांसदों से बात की है. किसी ने भी अकबर पर टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मीटू अभियान का समर्थन किया है. उमा भारती, मीनाक्षी लेखी और पूनम महाजन के नाम हैं. इस तरह की मेहनत अकबर पर लिखी गई हिन्दी अखबारों की खबरों में नहीं है. बस यही है कि कांग्रेस ने इस्तीफा मांगा और खबर 11वें पन्ने में कहीं किनारे ठेल दी गई है.