विवाद इस बात पर है कि प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) गणपति पूजा में शामिल होने देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI DY Chandrachud) के घर क्यों गए? अगली रिपोर्ट को देखते हुए आपके मन में कुछ सवाल होने चाहिए...क्या ऐसा पहली बार हुआ है..कि किसी धार्मिक आयोजन में पीएम और मुख्य न्यायाधीश दोनों साथ दिखे हैं...? क्या देश की कार्यपालिका...और देश की न्यायपालिका...दोनों के प्रमुख अगर धार्मिक आयोजन में मिलते हैं तो इससे सेक्युलरिज्म खतरे में आ जाता है? क्या संविधान ने धार्मिक स्वतंत्रता का जो मौलिक अधिकार दिया है...प्रधानमंत्री उसका पालन नहीं कर सकते...? और सबसे बड़ा सवाल...ये सवाल उन लोगों से है, जो गणपति वंदन पर क्रंदन कर रहे हैं...क्या ये रुदाली इस बात से तय होती है कि रोने वाले को क्या सूट करता है और क्या सूूट नहीं करता?