कांग्रेस सरकारों के लोन माफ करते ही लोन माफी की होड़ चल पड़ी है. असम सरकार ने भी 25 प्रतिशत लोन माफ करने का एलान किया है. इसी के साथ पुरानी बहस सतह पर आ गई है कि लोन माफी पूरा समाधान नहीं है. यह बात आज से नहीं बीस साल से कही जा रही है तो जो भी पूरा समाधान है उस पर काम क्यों नहीं हुआ और उसका नतीजा क्यों नहीं आया. फिर कहा जा रहा है कि बैंक डूब जाएंगे. बैंकों का एनपीए जब 10 लाख करोड़ पहुंचा तब बैंकों के डूबने को लेकर हाहाकार क्यों नहीं मचा ?