क्या वाकई पोटा का दुरुपयोग नहीं हुआ था. 2002 में अक्षरधाम आतंकी हमले के मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इन सभी को पोटा के तहत गिरफ्तार किया था. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों की तरफ से इन सभी को फंसाने के गंभीर प्रयास किए गए थे. इनमें से लोअर कोर्ट ने दो आरोपियों को फांसी की सज़ा दी थी. 11 साल जेल रहने के बाद मोहम्मद सलीम, अब्दुल मियां, अल्ताफ मलिक, अदम भाई अजमेरी, अब्दुल कयूम, चांद खान बरी हुए. अगर पोटा का दुरुपयोग नहीं हुआ था तो ये क्या था. मोहम्मद सलीम ने बरी होने के बाद कहा था कि गुजरात पुलिस ने उससे पूछा था कि गोधरा कांड, हरेन पांड्या हत्याकांड या अक्षरधाम आतंकी हमले में से किसमें बंद करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इन्हें फंसाया गया लेकिन हम और आप कभी नहीं जान सकेंगे कि इन्हें किसके इशारे पर फंसाया गया और उन लोगों को क्या राजनीतिक लाभ मिला. गृहमंत्री को वाइको का केस भी याद दिलाना चाहिए जो वाजपेयी सरकार के सहयोगी थे. 11 जुलाई 2002 को वाइको पोटा के तहत गिरफ्तार कर लिए गए. एमडीएमके एनडीए की सहयोगी थी.