मद्रास हाई कोर्ट अपने फैसले में उस मुरुगन को पुनर्जीवित होने के लिए कहता है जिसने अपने मरने का ऐलान कर दिया था। अदालत कहती है उठो और लिखो। एक जीवंत लोकतंत्र के नागरिक की पहचान यही होती है कि वो समय के साथ अपने विरोधी के संग चलना सीखे। हर लेखन किसी के लिए आपत्तिजनक है इसलिए उसे अश्लील अभद्र और अनैतिक नहीं कहा जा सकता है।