मेघालय यानी बादलों का घर. भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक पूर्वोत्तर का ये राज्य घने जंगलों से घिरा है. लेकिन प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण ने पर्यावरण को खासा नुकसान पहुंचाया है. मेघायल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एक अधिसूचना प्रकाशित की जो प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूर्णत: रोक तो नहीं लगाता लेकिन प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के तहत उसे नियंत्रित करता है. 50 माइक्रोन से कम मोटे प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक से मेघालय में एक बदलाव आया है. यहीं पर राज्य ने ऊषा सिलाई स्कूल कार्यक्रम के साथ एक परियोजना की परिकल्पना की, जिसमें कपड़े के थैले और जूट के थैले बनाकर प्लास्टिक की थैलियों का विकल्प उपलब्ध कराया गया और वंचित महिलाओं को भी आय का स्रोत प्रदान किया गया.