अब बात उन हज़ारों मरीजों की जो इलाज के लिए दिल्ली तो आये पर घर वापस नहीं हो पाए. अक्सर, इलाज इतना लंबा चलता है कि इन गरीबों को अपने इलाके में सालों साल लौटने का मौका ही नहीं मिलता. पेट तो पालना है लिहाज़ा अस्पताल के आसपास ही इलाज के साथ-साथ ये दिहाड़ी मज़दूरी में जुट जाते हैं.