गांव-गांव तक सड़क, बिजली और शौचालय पहुंचाने का दावा करने वाली शिवराज सरकार में कई जिलों से प्रसूताओं को खाट पर ले जाने की तस्वीरें आम हैं. कहीं सड़क की वजह से जननी एक्सप्रेस नहीं पहुंच पाती तो कहीं जननी एक्सप्रेस ही नहीं है. महामारी के दौर में भी एंबुलेंस को लेकर ये तस्वीरें बदली नहीं हैं जबकि सबसे ज्यादा बजट स्वास्थ्य विभाग पर ही खर्च हो रहा है. कुछ दिन पहले बालाघाट के नकटाटोला गांव में एक आदिवासी प्रसूता महिला को खाट पर लिटाकर तीन किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी. प्रसव पीड़ा होने पर परिजनों ने एंबुलेंस को सूचना दी लेकिन हुडडीटोला से नकटाटोला के बीच तीन किलोमीटर तक सड़क थी ही नहीं. परिजन खाट पर लिटाकर रजनी मरकाम को मुख्य मार्ग तक ले गए और फिर वो अस्पताल पहुंचीं.