थिएटर कलाकारों के पास काम नहीं है. उनकी कहानी बहुत दर्दनाक है. लॉकडाउन के दौरान काम बंद रहा और थिएटर फिल्मों की तरह नहीं है, जिसमें बहुत ज्यादा पैसे हों. संघर्ष काफी है. महाराष्ट्र के लावणी कलाकार महासंघ के अध्यक्ष संतोष लिम्बोरे ने एनडीटीवी से कहा कि महाराष्ट्र की भूमि लोक कलाकारों की भूमि है. लेकिन दो साल से लॉकडाउन में जो हुआ उससे हमें खुद को लोक कलाकार बोलने में शर्म आती है. चुनाव में जब लोगों को जमा करना होता है तो हम लोगों को बुलाया जाता है. लेकिन लॉकडाउन हुआ तो सबसे पहले हमारे कार्यक्रम बंद कर दिए गए.