मैसूर में दशहरे की रौनक देखने लायक होती है। खासतौर पर सजे धजे हाथियों पर सबकी नज़र होती है। 15वीं शताब्दी में विजयनगर साम्राज्य के दौर में यहां दशहरे का आयोजन शुरू हुआ।
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