वैसे इसमें शक नहीं कि शिक्षक को हमने बहुत बेचारा बना दिया है. बच्चों के कंधों के बोझ की बात हम करते हैं, शिक्षकों के कंधों पर जो बोझ है उसको नहीं देखते. शिक्षकों से शिकायत करते हैं कि वो स्कूल नहीं जाते, जबकि ये नहीं देखते कि कई बार एक-एक शिक्षक कई-कई कक्षाओं को एक साथ पढ़ाने में लगे रहते हैं. छत्तीसगढ़ में कई स्कूलों में एक शिक्षक 6 घंटे में 18 पीरियड एक साथ लेता है. अब ये कारनामा कैसे होता है. इस पर अनुराग द्वारी की रिपोर्ट.