समलैंगिकता एवं अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध बताने वाली धारा-377 पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार करेगा. कोर्ट ने मामले को बड़ी बेंच को रेफर कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नाज फाउंडेशन मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है क्योंकि हमे लगता है कि इसमें संवैधानिक मुद्दे जुड़े हुए हैं. दो वयस्कों के बीच शारीरिक संबंध क्या अपराध हैं, इस पर बहस जरूरी है.