नोटबंदी को एक महीना हो चुका है. 50 दिन बाद क्या स्थिति होगी, इसका काफी अंदाजा 30 दिनों में जरूर लग जाता है. क्या बैंकों के आगे लग रही कतारों में कमी आई है? जरूर आई है, लेकिन उसकी कई वजहें हैं. ये नहीं कि आराम से सबको अपनी जरूरत के मुताबिक पैसे मिल रहे हैं. छापे पड़ रहे हैं और करोड़ों के नए नोट बरामद भी हो रहे हैं. तो फिर ये सवाल पूछना भी जरूरी है कि जो मकसद था नोटबंदी का काले धन पर 'सर्जिकल स्ट्राइक', फर्जी नोटों पर रोकथाम और आतंकवादियों तक पहुंच रहे कैश पर रोक...क्या ये कुछ हद तक भी हो पाया है. असल मार नोटबंदी की कहां पड़ी है? काले धन वालों पर या फिर सिर्फ आम लोगों पर. यही चर्चा 'मुकाबला' में हमारे खास मेहमानों के साथ...