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शैलेंद्र अपने पिता की काम में मदद किया करते थे, जहां मशीनें उन्हें लुभाती थीं. आज वह अपने कोचिंग इंस्टीट्यूट में भौतिक विज्ञान के अपने ज्ञान से सैकड़ों विद्यार्थियों को लाभान्वित कर रहे हैं.