समलैंगिक शादियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार जिरह जारी है. केंद्र सरकार की दलील है कि समलैंगिक शादियों का मसला विधायिका पर छोड देना चाहिए, क्योंकि इस मसले के सामाजिक पहलू बहुत व्यापक हैं. इस सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस पूरी हो चुकी है.