अब हमारे एक दर्शक की बात आप तक पहुंचाना चाहता हूं. शुभम देशमुख देख नहीं सकते हैं मगर तकनीक के ज़रिए दुनिया को देखते रहते हैं. शुभम का फोन आया कि महाराष्ट्र के अमरावती में जहां समाज कल्याण विभाग का होस्टल है वहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत खराब है. जो छात्र वहां रहते हैं उन्हें आने जाने में कितनी दिक्कत होती होगी. खासकर ऐसे छात्र जो देख नहीं सकते हैं. इस हास्टल में 1000 छात्र रहते हैं. हमने बस शुभम से पूछ लिया कि कोई तस्वीर है आपकी. शुभम ने जो तस्वीर भेजी है उससे मैं हैरान हूं. वो किसी की बाइक पर पीछे बैठे और खुद वीडियो बनाया है. हम चाहते हैं कि आप उस वीडियो देखें और महसूस करें कि एक नागरिक अपने आस पास की व्यवस्था को किस तरह से देखता है. बहुत लोग नज़रअंदाज़ कर जाते हैं, सोचते हैं कि जाने दो, कभी नहीं सुधरेगा, लेकिन शुभम ने वीडियो रिकार्ड किया और मुझे भेज दिया. आप शुभम के कैमरे से उस हॉस्टल तक की यात्रा कीजिए और सोचिए कि अधिकारियों को क्या बिल्कुल फर्क नहीं पड़ता होगा कि किसी छात्र को तकलीफ हो सकती है तो रास्ता ठीक करा दिया जाए. सिस्टम नहीं देख सकता है लेकिन जो देख सकते हैं तो वो तो देख लें. शुभम कभी यहां छात्र थे, रहते थे, अब नहीं रहते हैं लेकिन उनका कहना है कि आखिर कब यहां की सड़क बनेगी.