रक्षा मामले जब भी सामने आते हैं, तो अनुभव की सीमा खड़ी हो जाती है. पहले का सिस्टम हुआ करता था कि रक्षा मंत्रालय कवर करने वाले अलग से रिपोर्टर और संपादक हुआ करते थे. स्वास्थ्य मंत्रालय कवर करने वाले रिपोर्टर और संपादक हुआ करते थे. इस तरह न्यूज रूम में कई तरह के संपादक हुआ करते थे, जिनसे आप बात करते थे. जानकारियां लेते थे और मुद्दे को समझते थे. अब यह हर जगह ध्वस्त हो चुका है. बताते चले कि सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर है. दक्षिण पैंगॉन्ग में ऊंचे ठिकानों पर भारत की पैठ है. देखिए प्राइम टाइम रवीश कुमार के साथ...