लघु और मध्यम उद्योगों की श्रेणियां भारत की अर्थव्यवस्था की जान है. 24 मार्च की तालाबंदी के बाद उनकी हालत आईसीयू में चली गई है. इससे पहले भी उनकी हालात कोई अच्छी नहीं थी. ऐसे में जब कोई कारोबारी गतिविधियां नहीं हो रही छोटे-छोटे व्यापारी बैंक का लोन चुकाने के लिए मजबूर है. जीएसटी दे रहे हैं. उनके बहीखाता में कर्ज का पैसा बहुत बड़ा होता जा रहा है. एक तरह से वो कर्ज में डूबते जा रहे हैं. वे कह रहे हैं कि अब तो सरकार ने कानून बनाया है कि उन्हें सैलरी देनी पड़ेगी. अब इन्हें इस बात की परवाह नहीं कि जब पैसा नहीं तो सैलरी कहां से लाकर दे, जिसे जेल भेजना है वो जेल भेज दे.