जिस किसी भी समाज में हिंसा और हिंसा का बदला लेने की जड़ें मज़बूत होती हैं, जहां लोग इसे सही ठहराने में दिन-रात जुटे रहते हैं, उसके असर में किसी को भी लग सकता है कि हिंसा करना सही है और इतिहास या वर्तमान की किसी घटना का बदला इस तरह से लिया जा सकता है.