रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का एक इंटरव्यू आया है. जापान के ओसाका में होने वाली जी-20 की बैठक में जाने से पहले पुतनि का यह इंटरव्यू कई मायनों में अहम लगता है. पुतनि ने साफ-साफ कहा है कि उदारवाद का दौर समाप्त हो चुका है. अब इसमें कोई ताकत नहीं बची है. उदारवाद को बचे रहने का हक है मगर आज के समय में उसकी भूमिका क्या है. पुतिन तो यह भी कह रहे हैं कि बहुसंस्कृतिवाद के भी दिन लद गए हैं. जनता इसके खिलाफ है. जनता अब नहीं चाहती कि सीमाएं खुली रह और लोगों की आवाजाही होती रहे. भारत में भी इन मुद्दों पर बहस होती रहती है. आए दिन आप ऐसी बहसों में लिबरल आइडिया और आइडिया ऑफ इंडिया की बात सुनते रहते हैं. मूल रूप से इसे हम अनेकता में एकता के नारे से समझते हैं. लेकिन पुतिन साफ-साफ कह रहे हैं कि इसके दिन चले गए. पुतिन माइग्रेशन के खिलाफ स्टैंड लेने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की तारीफ कर रहे हैं तो अपने यहां सीरीया के दस लाख शर्णार्थियों को जगह देने वाली जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल की आलोचना भी कर रहे हैं कि उन्होंने ऐसा कर भयंकर भूल की है. पुतिन 18 साल से सत्ता में हैं.