क्या किसान आंदोलन के साथ भी वही होगा जो एक साल पहले दिल्ली में हो रहे नागरिकता कानून के साथ हुआ था. आज सिंधु बॉर्डर और टीकरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के सामने पथराव की घटना हुई और नारेबाजी भी. क्या जान बूझकर टकराव की नौबत बनायी जा रही है? ताकि हिंसा करवाने की योजना को मौका मिल जाए. दिल्ली दंगों से पहले ऐसा ही कुछ हो रहा था. इसलिए इन बातों से सतर्क रहने की जरूरत है.नारेबाजी और पथराव करने वाले लोग कम होते हैं. लेकिन उनकी ताकत कम नहीं होती है. उनकी भाषा वही होती है जो गोदी मीडिया की होती है.