राजनीति में बेरोजगारी का मुद्दा अब प्रमुख नहीं रहा. क्योंकि बेरोजगारों के बीच राजनीति के मुद्दे बदल गए हैं. धर्म और धार्मिक पहचान की राजनीति जो उन्हें जुनून देती है, जो उन्हें गौरवभाव से भरती है. वो रोजगार और बेरोजगारी जैसे सवालों से नहीं भरपाई होती है. इसलिए नेता भी ये सवाल समझ गए हैं. चुनाव में जाते हैं तब भी रोजगार की बात नहीं करते हैं. सत्ता में आते हैं तब भी इन सवालों की परवाह नहीं करते हैं. ताजा उदाहरण आप अनुराग द्वारी की इस रिपोर्ट से देखिए, कि मध्य प्रदेश के कई जिलों में अब रोजगार कार्यालय ही बंद किए जा रहे हैं.