ये वक्त रामलीला का नहीं है, रामलीला में रावण होता है यमराज नहीं. दिक्कत तब होती है जब यमराज रावण का भेष धारण कर के सड़क पर आ जाता है. यमराज आए हैं मौत का दूत बनकर लोगों को चेतावनी देने की घर में रहे. यमराज ने कोरोना को अपना दूत बनाकर भेजा है उन्हें ले जाने के लिए जो बाहर निकलते है. दिल्ली पुलिस की नियत ठीक है वो लोगों को घर मे रहने का संदेश दे रही है. लेकिन प्रतीक के तौर पर यमराज का चयन ठीक नहीं है. मौत के नाम पर जागरूक करने से भय फैल सकता है. इस भय के कारण तरह-तरह के अफवाह भी फैल सकता है. यह कोरोना रोग की सच्चाई भी नहीं है. जरूर इससे लोग मरे हैं लेकिन ठीक होने वाले अधिक है. कोरोना को यमराज बताना ठीक था? अगर यमराज पुलिस के सुरक्षा में आता दिखाई दे तो यह हमारे कानून व्यवस्था के लिए भी ठीक नहीं हो सकता है. दिल्ली पुलिस वैसे अच्छा काम कर रही है इस कारण वो मेरे इस टिप्पणी को अन्यथा न लें. इसके दो मतलब हैं पहला यमराज को अपनी पहनावा की बहुत जरूरत है. दुसरा महामारी के समय संचार के तरह-तरह के तरीके की बहुत जरूरत है. इन सब के बीच WHO की तरफ से लगातार कोरोना को लेकर गाइडलाइन आ रही है. WHO की चीफ सांइटिस्ट डॉ सौम्या स्वामीनाथन से इससे जुड़ीं बातों पर बात की गयी है.