दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर पुलिस की भूमिका पर कई सवाल उठ रहे हैं. पुलिस के 50 से अधिक जवान और अफसर घायल हैं. पुलिस को भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. पुलिस भी हिंसा की शिकार हो रही है. पुलिस का एक जवान रतन लाल भी शहीद हुआ है. हालात की गंभीरता समझी जा सकती है लेकिन क्या पुलिस ने अपनी तरफ से पर्याप्त प्रयास किए. रविवार को डीसीपी खुद कपिल मिश्रा के सामने लाचार सामने आ रहे हैं. पुलिस की भूमिका को लेकर कई वीडियो सामने आए हैं जिनमें दंगाई पुलिस के साथ हैं. पुलिस दंगाइयों को पत्थर मारने के लिए उकसा रही है. भीड़ की तैयारी देखिए. हेल्मेट पहने हुए लोग हैं. हाथों में पत्थर है. पत्थर चला रहे हैं. पुलिस वहीं खड़ी है और कार्रवाई नहीं कर रही है. ऐसी पुलिस को देखकर किसका भरोसा खत्म नहीं हो जाएगा. क्या इस पुलिस से उम्मीद की जा सकती है?