महामारी की मजबूरियां भी ऐसी हैं की मनोचिकित्सक भी नींद की गोलियों का सहारा ले रहे हैं. मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी ऑनलाइन सेशन की बंदिशें और तनाव भरे लम्बे सेशन कई मनोचिकित्सकों को भी डिप्रेशन में डाल रहे हैं.दरअसल मरीज़ों की संख्या लगभग दोगुनी होना, ऑनलाइन सेशन के कारण लम्बी लम्बी शिफ़्ट, तनाव भरे लम्बे कॉल्ज़ और सेशन, कई काउंसलर्स और मनोचिकित्सकों को भी नींद की दवा खाने पर मजबूर कर रहे हैं.