अगर आप पढ़ते लिखते हैं, सोचते विचारते हैं या आपके परिवार में कोई नौजवान पढ़ता लिखता है, दुनिया को देखने समझने के लिए अलग-अलग किताबें पढ़ता है, जिसे आस पास के लोग इंटेलेक्चुअल कहते हैं, तो थोड़ी सावधानी बरतने में कोई हर्ज नहीं है. कभी भी खुद को इंटेलेक्चुअल न कहें वर्ना अब ऐसा नेता हो गए हैं जिन्हें इंटेलेक्चुअल को गोली से मरवा देने का शौक चढ़ गया है. चुने हुए प्रतिनिधि बेलगाम होते जा रहे हैं. किसी को भी गोली मार देने की बात ऐसे कह रहे हैं जैसे कोई बादशाही हुक्म जारी किया जा रहा हो. कभी सेना को तो कभी आस्था को ढाल बनाकर ऐसी बातें कही जा रही हैं. हम ये कैसा भारत बना रहे हैं जहां विधायक बल्कि बीजेपी के विधायक कहते है कि मैं अगर गृहमंत्री होता तो सेना के ख़िलाफ बोलने वाले इंटेलेक्चुअल को गोली से उड़वा देता. क्या उन्हें नहीं पता कि सेना से रिटायर होने के बाद जनरल से लेकर ब्रिगेडियर और कर्नल तक सेना पर सवाल उठाते रहे हैं. ये कब से हो गया कि ऐसा करने पर गोली से उड़वा दिया जाएगा.