राजनीतिक दलों का क्या है, एक प्रेस कांफ्रेंस करना है, एक बयान देना है और फिर बड़ा मुद्दा बन जाना है. मायावती ने कहा है कि वे किसी भी कीमत पर कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं करेंगी. यह साधारण ख़बर तो नहीं है, लेकिन मीडिया, समाज और सरकार के सामने जगह पाने के लिए किसानों का एक जत्था 22 सितंबर से पैदल चल कर दिल्ली आ रहा था कि 2 अक्तूबर को किसान घाट जाकर सभा करना चाहते थे. वहां जमना चाहते थे ताकि मांगों के लिए सरकार पर दबाव डाल सकें. मगर इजाज़त नहीं मिली. तो इस वक्त मेरे सामने किसानों की 10 दिनों की पदयात्रा है, दूसरी तरफ दस मिनट लगाकर किया गया मायावती का प्रेस कांफ्रेंस है. ख़बरों की हमारी और आपकी भी जो समझ गढ़ी गई है उस पर नेता ही राज करते हैं. पर कोई बात नहीं, हम प्राइम टाइम में अभी किसानों की बात करते हैं. पर एक बात किसानों से भी करेंगे.